Month: मई 2017

आँखें झपकाकर परमेश्वर के विषय विचार करें

मेरे मित्र राईली ने कहा, “परमेश्वर पलक समान है” और मैंने आश्चर्य से पलक झपकाया l  उसके कहने का क्या अर्थ था?

मुझे और बताइये,” मैं कहा l मिलकर, हमदोनों परमेश्वर के आश्चर्यजनक चित्रों का अध्ययन कर रहे थे, जैसे परमेश्वर एक जच्चा (यशा. 42:14) या मधुमक्खी पालक की तरह(7:18), किन्तु यह तो मेरे लिए नयी बात थी l राईली ने व्यवस्थाविवरण 32 की ओर इंगित की, जहाँ मूसा लोगों की देखभाल करने में परमेश्वर के तरीके की प्रशंसा करता है l पद 10 कहता है कि परमेश्वर अपने लोगों के चारों ओर रहकर उनकी रक्षा करता है, और अपनी आँख की पुतली के सामान उनकी सुधि लेता है l

और पुतली की रक्षा कौन करता है? जी हाँ, पलक! परमेश्वर पलक की तरह है, जो सहजज्ञान से कोमल आँख की सुरक्षा करता है l पलक आख को खतरे से बचाता है, और गंदगी और धूल को दूर रखता है l यह पसीने को दूर रखकर, आँख के गोले को चिकना रखता है l यह बंद होकर आँख को आराम देता है l

परमेश्वर को पलक की तरह देखते हुए, मैंने परमेश्वर को उन सभी अलंकारों के लिए धन्यवाद दिया जो उसने हमें उसके प्रेम को समझने के लिए दिये हैं l हमारी आँखों के रात में बंद होने और सूबह खुलने पर, हम हमारे प्रति सुरक्षा और देखभाल पर विचारकार परमेश्वर को धन्यवाद दे सकते हैं l

परमेश्वर को देखना

व्यंग-चित्र कलाकार,  सार्वजनिक स्थानों में अपने चित्र-फलक लगाकर उन लोगों का चित्र बनाते हैं जो अपने हास्यपद-चित्र के लिए ठीक कीमत देने के इच्छुक है l ये चित्र हमें आनंद देते हैं क्योंकि ये हमारे भौतिक मुखाकृति के किसी एक या अनेक भाग को इस तरह  बढ़ाकर दिखाते हैं जो पहचान जाता है किन्तु हास्यकर होता है l

अपितु परमेश्वर के व्यंग-चित्र, हास्यकर नहीं l उसके किसी गुण को बढ़ाने से उसका विकृत छवि दिखता है जिसे लोग सरलता से नकार देते हैं l व्यंग-चित्र की तरह, परमेश्वर का एक विकृत छवि गंभीरता से स्वीकारा नहीं जाता l परमेश्वर को क्रोधित और रौब जमानेवाले न्यायी के रूप में देखनेवाले लोग सरलता से करुणा को प्रमुखता देनेवाले की ओर उन्मुख होते हैं l उसे दयालु दादा के रूप में देखनेवाले लोग न्याय की आवश्यकता के समय उस छवि को नकार देंगे l उसे जीवित, प्रेमी व्यक्तित्व की अपेक्षा उसे बौद्धिक विचार माननेवाले लोगों के लिए आख़िरकार दूसरे और विचार चिताकर्षक होंगे l उसे परम मित्र के रूप में देखनेवाले अधिक पसंदीदा मानवीय मित्र मिलने पर उसे पीछे छोड़ देते हैं l

परमेश्वर खुद को करुणामय और अनुग्रहकारी घोषित करता है, किन्तु दोषी को दण्डित करता है (निर्ग. 34:6-7) l

अपने विश्वास को कार्य रूप देते समय, हमें परमेश्वर में केवल पसंदीदा गुण नहीं दिखने चाहिए l हम परमेश्वर को सम्पूर्ण मानकर उपासना करें, केवल जो हमें पसंद है उसकी नहीं l

मार्ग ढूँढना

कैलिफोर्निया, सैंटा बारबरा, शहर में कुतूहल उत्पन्न करनेवाली एक सड़क है l उसका नाम है “सैल्सिप्युडेस,” अर्थात् “छोड़ सकते हो तो छोड़ दो l” सड़क के नामकरण के वक्त, वह क्षेत्र दलदल के किनारे था और कभी-कभी बाढ़ आती थी, और स्पेनी-भाषी नगर आयोजकों ने ठिकाने को सरल नाम देकर लोगों को उससे दूर रहने को चिताया l

परमेश्वर का वचन हमें पाप और परीक्षा के “गलत मार्ग” से दूर रहने को कहता है : “उसे छोड़ दे, उसके पास से भी न चल, उसके निकट से मुड़कर आगे बढ़ जा” (नीतिवचन 4:15) l किन्तु वचन केवल यह नहीं कहता “छोड़ सकते हो तो छोड़ दो l”वह हमें आश्वस्त करके सही मार्ग पर ले जाता है : “परमेश्वर सच्चा है और वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा कि तुम सह सको” (1 कुरिं. 10:13) l

प्रतिज्ञा कि परमेश्वर हमें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में नहीं पड़ने देगा एक उत्साहवर्धक  ताकीद है l परीक्षा के समय परमेश्वर की ओर मुड़ते समय, हमें मालुम है कि वह हमें उससे दूर रखना चाहता है l

बाइबिल बताती है कि यीशु “हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी” होता है l” किन्तु वह “सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला” (इब्र.4:15) यीशु हर परीक्षा से निकलने का हल जानता है l उसकी ओर मुड़ने से वह हमें दिखाएगा l

बच्चे की तैयारी

अनेक लालन-पालन वेबसाइटों पर एक वाक्यांश होता है, “सड़क के लिए बच्चे को तैयार करें, बच्चे के लिए सड़क को नहीं l” हमारे जीवन में समस्त बाधाओं को हटाने की कोशिश करके बच्चों के लिए मार्ग तैयार करने की अपेक्षा, हमें आगे के मार्ग में आनेवाली बाधाओं का सामना करने के लिए उन्हें तैयार करना चाहिए l

भजनकार लिखता है, “हम ... होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ्य और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगे l ... उसने हमारे पितरों को आज्ञा दी, कि तुम इन्हें अपने अपने बाल-बच्चों को बताना; कि आनेवाले पीढ़ी के लोग, अर्थात् जो बच्चे उत्पन्न होनेवाले हैं, वे इन्हें जानें; और अपने-अपने बाल-बच्चों से इनका बखान करने में उद्यत हों” (भजन 78:4-6) l लक्ष्य है कि “वे  परमेश्वर का भरोसा रखें, और परमेश्वर के बड़े कामों को भूल न जाएं” (पद. 7) l

दूसरे अपने कथन और आचरण के द्वारा हम पर जो सामर्थी आत्मिक प्रभाव डालें हैं, उस पर विचार करें l उनकी बातचीत और निरूपण ने हमारा ध्यान खींचकर हमें यीशु का अनुसरण करने हेतु उत्तेजित किया है l

आने वाली पीढ़ी और पीढ़ियों को हमारे जीवनों के लिए परमेश्वर का वचन और उसकी योजना बांटना एक अद्भुत सौभाग्य है l उनके जीवन में आगे जो भी हो, वे तैयार रहकर  प्रभु की सामर्थ्य में उनका सामना करें, यही हमारी इच्छा है l

परमेश्वर द्वारा आच्छादित

बचपन में मेरे बच्चे, हमारे गीले इंग्लिश बगीचे में खेलकर जल्द ही गंदे हो जाते थे l उनकी और मेरे फर्श की भलाई के लिए मैं उनके कपड़े बाहर उतरवाकर उनको तौलिये में लपेटकर नहाने ले जाती थी l वे साबुन, जल, और दुलार से जल्द साफ़ हो जाते थे l

जकर्याह को प्राप्त एक दर्शन में, हम एक महायाजक, यहोशु को मैले वस्त्र पहने हुए देखते हैं, जो पाप और दुराचार का प्रतीक है (जकर्याह 3:3) l किन्तु परमेश्वर उसके मैले कपड़े उतारकर उसे साफ़ कर उसे सुन्दर वस्त्र पहनाता है (3:5) l शुद्ध पगड़ी और वस्त्र प्रगट करते हैं कि प्रभु ने उसके पाप उससे दूर किये हैं l

यीशु के उद्धारक कार्य द्वारा परमेश्वर की शिफा से हम अपने दुराचार से स्वतंत्र होते हैं l उसके क्रूसित मृत्यु के परिणामस्वरूप, हमें परमेश्वर के संतानों का वस्त्र मिलता है l अब हम अपने बुरे कार्यों (चाहे झूठ, बकवाद, लालच, अथवा कुछ और) द्वारा परिभाषित नहीं होते हैं, किन्तु परमेश्वर अपने प्रेम करनेवालों को पुनरस्थापित, नया किया हुआ, स्वच्छ, स्वतंत्र, नाम देता है, जीनका हम दावा कर सकते हैं l

परमेश्वर से वे सारे गंदे कपड़े हटाने को कहें जो आपने पहन रखें हैं ताकि आप उसके द्वारा आपके लिए तैयार वस्त्र धारण कर सकें l

सिंहों के संग निवास

शिकागो अजायबघर घर घूमते समय, मैंने बेबीलोन के लम्बे डग मारने वाले सिंहों का मूल चित्र देखा l वह भयंकर भाव के साथ एक पंखदार सिंह का भित्तिचित्र था l बेबीलोन की प्रेम और यूद्ध की देवी इश्तार का प्रतीक, यह सिंह 120 समरूप सिंहों का उदहारण था जो ई०पु० 604-562 के वर्षों में बेबीलोन की सड़कों पर पंक्तिबद्ध रहे होंगे l

इतिहासकारों के अनुसार बेबीलोन के लोगों द्वारा यरूशलेम पर कब्ज़ा करने के बाद, यहूदी बंदियों ने अपने समय में नबूकदनेस्सर के राज्य में इन सिंहों को देखा होगा l इतिहासकारों का यह भी मानना है कि कुछ इस्राएलियों का विश्वास था कि इश्तार देवी ने इस्राएल के परमेश्वर को पराजित किया था l

एक इब्री बंदी, दानिय्येल अपने कुछ इस्राएली भाइयों की शंकाओं से विचलित और शंकित नहीं था l परमेश्वर के विषय उसका विचार और समर्पण स्थिर था l वह यह जानकार भी कि प्रार्थना करना उसे सिंहों के मांद में भेज सकता था वह खिड़की खोलकर तीन बार प्रार्थना करता था l परमेश्वर द्वारा दानिय्येल को भूखे जंतुओं से छुड़ाने के बाद, राजा दारा ने कहा, “जीवता और युगानयुग तक रहनेवाला परमेश्वर [दानिय्येल का ही है] .... वही बचाने और छुड़ानेवाला है” (दानि. 6:26-27) l दानिय्येल की विश्वासयोग्यता ने उसको बेबीलोन के अगुवों को प्रभावित करने दिया l

तनाव एवं निराशा के बावजूद विश्वासयोग्यता उसे महिमान्वित करने हेतु लोगों को प्रेरित करेगा l

सच्चा मित्र बनना

कवि सैमवेल फ़ॉस ने लिखा, “मुझे सड़क किनारे रहकर मनुष्य का मित्र बनने दें” (“द हाउस बाई द साइड ऑफ़ द रोड”) l मैं ऐसा ही रहना चाहता हूँ-लोगों का मित्र l मैं राह के किनारे थकित यात्रियों का इंतज़ार करना चाहता हूँ l मैं दूसरों द्वारा चोटिन एवं अपकृत लोगों को तलाशना चाहता हूँ, जो घायल और निर्भ्रांत हृदय का बोझ उठाते हैं l उनको उत्साहवर्धक शब्द द्वारा पोषित और तरोताजा करके उनको उनके मार्ग पर आगे भेजने के लिए l मैं शायद उनको या उनकी समस्याओं को “ठीक” नहीं कर पाऊँगा, किन्तु उन तक आशीष पहुंचा सकता हूँ l

शालेम का राजा और याजक, मलिकिसिदक, अब्राम को आशीषित किया जब वह युद्ध से लौट रहा था (उत्प. 14) l एक “आशीष” एक छींक के प्रति विनम्र प्रतिउत्तर से अधिक है l हम उनको आशीष के श्रोत के पास लाकर उन्हें आशीषित करते हैं l मलिकिसिदक ने अब्राम को यह कहकर आशीषित किया, “परमप्रधान ईश्वर की ओर से, जो आकाश और पृथ्वी का अधिकारी है, तू धन्य हो” (पद. 19) l

हम दूसरों के संग प्रार्थना करके उनको आशीषित करते हैं; हम उनको ज़रूरत के समय अनुग्रह के सिंहासन तक ले जाकर सहायता दे सकते हैं (इब्रा. 4:16) l हम शायद उनकी परिस्थिति न बदल सकें, किन्तु उनका परिचय परमेश्वर से करा सकते हैं l एक सच्चा मित्र ऐसा ही करता है l

सदा बहार पुष्प

मेरा  बेटा ज़ेवियर बचपन में, मुझे फूल देना पसंद करता था l उसके द्वारा तोड़ा या अपने पिता के संग ख़रीदे गए छोटे-बड़े ताज़े फूल की मैं प्रशंसक थी, और मुरझाने तक उनको संयोजती थी l

एक दिन, ज़ेवियर ने मुझे बनावटी फूलों का एक सुन्दर गुलदस्ता दिया l वह सफ़ेद सोसन, पीला सूर्यमुखी, और बैंजनी सदाबहार फूलों को एक फूलदान में सजाते हुए मुस्करा कर बोला, “मम्मी, ये सदैव रहेंगे l मैं इसी तरह तुमसे प्रेम करता हूँ l”

अब मेरा बेटा युवा है l वे सफ़ेद पंखुड़ियां धूमिल हो गईं हैं l फिर भी सदाबहार फूल मुझे उसके गहरे प्रेम की याद दिलाते हुए, अचूक और चिरस्थायी वचन में वर्णित परमेश्वर के असीमित और अनंत प्रेम याद दिलाते हैं (यशा. 40:8) l

इस्राएलियों के निरंतर क्लेश में, यशायाह ने भरोसे से उनको परमेश्वर के चिरस्थायी वचन से सान्त्वना दी (40:1) l उसने घोषणा की कि परमेश्वर ने इस्राएलियों के पाप के दंड को चुकाया है (पद.2), भावी उद्धारकर्ता में उनकी आशा को सुरक्षित किया है (पद.3-5) l उन्होंने नबी पर भरोसा किया क्योंकि उसका केंद्र उनकी परिस्थितियाँ नहीं बल्कि परमेश्वर था l

अनिश्चितता और दुखित संसार में, मनुष्य का विचार और हमारी अपनी भावनाएं भी हमारी नश्वरता की तरह बदलती और सीमित हैं (पद.6-7) l फिर भी, हम परमेश्वर के निरंतर और अनंत सत्य वचन में प्रगट उसके अपरिवर्तनीय प्रेम और चरित्र पर भरोसा कर सकते हैं l

बीज बिखेरना

मैंने एक स्त्री से एक अदभुत ई-मेल प्राप्त किया, “1958 में पुटमेन सिटी में तुम्हारी माँ मेरी प्रथम कक्षा की शिक्षिका थी l वह बहुत अच्छी और दयालु, किन्तु सख्त शिक्षिका थी! उन्होंने हमें भजन 23 कंठस्थ करके पूरी कक्षा के सामना दोहराने को कहा, और मैं डर गया l किन्तु 1997 में मसीही बनने तक बाइबिल का मेरा एकमात्र संपर्क वही था l और इसे पुनः पढ़ते समय श्रीमति मैकेसलैंड की यादें सैलाब की तरह लौटती हैं l”

यीशु ने एक बड़ी भीड़ को विभिन्न प्रकार की भूमि-एक कठोर, चट्टानी, झाड़ियों, और अच्छी भूमि पर-बीज बोनेवाले एक किसान का दृष्टान्त बताया (मत्ती 13:1-9) l  जबकि कुछ बीज उगे नहीं, “अच्छी भूमि पर गिरी हुई बीज, सुनकर समझने वाले व्यक्ति का सन्दर्भ देता है” और “सौ गुना, कोई साठ गुना, और कोई तीस गुना [फलता है] (पद.23) l

उन बीस वर्षों में मेरी माँ ने पब्लिक स्कूल में पढ़ाते हुए, पठन, लेखन और गणित के साथ परमेश्वर के प्रेम का सन्देश और दयालुता के बीज बोए l

उसके पूर्व विद्यार्थी के ई-मेल के अंत में लिखा था, “मेरे जीवन के बाद के वर्षों में अवश्य ही, अन्य मसीही प्रभाव था l किन्तु मेरा हृदय [भजन 23] और [आपकी माँ] के दयालु स्वभाव की ओर लौटता है l”

आज बोया गया परमेश्वर के प्रेम का एक बीज किसी दिन असाधारण फसल देगा l